फिल्म ‘किल-दिल’ आज सिनेमाघर में दर्शकों का खूब मनोरंजन कर रही है. इस फिल्म से मशहूर अभिनेता गोविंदा ने एक बार फिर से बड़े पर्दे वापसी की है. इस फिल्म में गोविंदा के साथ रणवीर सिंह, परिणीति चोपड़ा, अली जफर भी हैं. इस फिल्म में कोई ‘पैसों’ के लिए तो कोई ‘दिल’ के लिए और कोई ‘प्यार’ के लिए तो कोई ‘दोस्ती’ के लिए ‘किल’ करते हुए दिखाई दे रहा है.
कहानी
भैयाजी यानि गोविंदा का रिश्ता क्राइम की दुनिया से होता है और वह दो बच्चे देव (रणवीर सिंह) और टूटू (अली ज़ाफर) को एक कचरे ढेर से उठाकर लाता है और उनकी परवरिश करता है. भैयाजी के नक्शेकदम पर चलते हुए यह दोनों भी गुनाह की दुनिया में आ जाते हैं. भैयाजी लोगों को मारने की सुपारी लेता है जिसे देव और टूटू अंजाम देते हैं और दोनों अपने काम को बखूबी अंजाम देना जानते हैं. लोगों को मारना उनके लिए जैसे एक खेल बन जाता है.
इसी बीच कहानी एक नया मोड़ लेती है और एक दिन दोनों की पब में दिशा (परिणीति चोपड़ा) से मुलाकात होती है जो कि बेबाक और जिंदादिल अंदाज होती है और दिशा पर देव फिदा हो जाता है. देव पब में दिशा की जान बचाता है और दोनों की दोस्ती हो जाती है. दिशा जेल से छूटे कैदियों के पुनर्वास में मदद करती है. धीरे-धीरे दिशा और देव एक दूसरे के करीब आने लगते हैं और देव अपराध की दुनिया को छोड़ने का मन बना लेता है और जब यह बात भैयाजी और टूटू को पता चलती है तो भैयाजी भड़क उठते हैं. देव किसी तरह से टूटू को मना लेता है और नौकरी तलाशने में जुट जाता है. यह बात भैयाजी को पता लग जाती है और वह देव को मारने के लिए अपना आदमी भेजते हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ देव और दिशा अपनी जिन्दगी के सपने संजो रहे होते हैं.
फिलहाल आगे की कहानी जानने के लिए आपके सिनेमा हॉल का रुख करना पड़ेगा क्योंकि आप खुद फिल्म देखेंगे तो ज्यादा मजा आएगा. यह फिल्म आपको गुलजार की शायरी गुनगुनाते हुए गोविंदा, रणवीर और अली जफर के सधे हुए संवादों के साथ इसके अंत तक ले जाएगी.
अभिनय
इस फिल्म में गोविंदा ने बहुत ही शानदार काम किया है जिसे देखकर लगता है कि यह फिल्म उनके करियर की डूबी हुई नाव को बाहर किनारे तक खींच लाएगी. रणवीर को आपने 'रामलीला' और 'बैंड बाजा बारात' जैसी फिल्मों में बहुत ही चुलबुले किरदार में देखा है और इस फिल्म में भी वह उसी अंदाज में दिखाई दिए हैं लेकिन फिर भी उनके अभिनय में एक नयापन दिखाई देता है जो की बहुत ही अच्छा है. अली ज़ाफर की बाते करें तो उन्होंने अपने अभिनय और संवाद अदायगी से दर्शकों का दिल जीत लिया है. वहीं परिणीति चोपड़ा की बात की जाए वैसे तो हर फिल्म में उनका अभिनय एक जैसा ही होता है लेकिन इस फिल्म में उन्होंने भी अच्छा अभिनय किया है.
निर्देशन
7 साल बाद निर्देशन के क्षेत्र में लौटनेवाले शाद अली ने जिस तरह फिल्मांकन और कहानी में तड़का लगाया है उससे यह फिल्म कुछ अलग ही नजर आती है लेकिन फिल्म की एडिटिंग और टाइट होती तो ज्यादा मजा आता. शाद अली ने इस फिल्म में गुलजार की शायरी को बहुत ही खूबसूरती के साथ पेश किया जो कि बेहद ही शानदार है.
म्यूजिक
इस फिल्म के गानों के बोल गुलजार ने दिए हैं जो कि बहुत ही सुकून भरे हैं. वहीं शंकर-अहसान-लॉय के संगीत से यह गाने और मधुर हो जाते हैं. इस फिल्म के गाने 'स्वीटा', 'नखरीले', 'सजदे', 'किल-दिल', 'बोल बेलिया' और 'हैप्पी बड्डे' को लोग पहले ही काफी पसंद कर चुके हैं.
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