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अब सरकार लोगों का टेस्ट कराने से तो गई, पर कभी ताली पिटवा कर तो कभी दीये या मोमबत्ती जलवा कर एकजुटता का सबूत जरूर मांगती रहती हैं. ताकि लोग एकजुट होकर यह साबित करते रहे कि हम सभी घर में हैं और कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टर्स और अन्य लोगों का सम्मान कर रहे हैं.
सम्मान भी देखिए कैसे दिया जा रहा है. 5 अप्रैल, 2020 यानी आज के दिन अपने घरों की सभी लाइट्स बंद करके फ्लैशलाइट, दीया और मोमबत्ती जलाकर कोरोना वॉरियर्स का सम्मान देने को पीएम ने अपने हाल ही में देश के नाम दिए गए संबोधन में कहा था. पर विडंबना ये है कि देश में गंवार और मुर्खों की एक जमात भी रहती है, जो कि कोरोना वॉरियर्स को सम्मान देने के लिए पटाखे फोड़ना ज्यादा उचित समझती है.
लगता है ये घटिया लोग इस बात का जश्न मना रहे थे कि देश में कोरोना के कारण अबतक इतनी मौत हो चुकी हैं और आगे भी न जाने कितनी होंगी. तुम्हारे द्वारा जलाए गए इन पटाखों की आवाज उन घर तक भी पहुंची होगी, जिनके चिराग बुझे हैं. उनसे जाकर पूछों कि उन्होंने कैसे तुम्हारे इस बेहुदा जश्न को बर्दाश्त किया होगा. वो परिवार आज फिर से रोए होंगे कि देखो, देश हमारे प्रियजन के जाने पर कैसे खुशी मना रहा है.
देश एक ऐसे घोर संकट से गुजर रहा है, जहां पर सभी को एकजुट होकर इससे लड़ने की जरूरत है, लेकिन नहीं यहां तो हर कोई यह दिखाने में लगा है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करके घर से पहले बाहर कौन जाएगा? घरों में रहने के लिए कहा जाता है, लेकिन नहीं ये लोग नहीं मानते.
राजधानी दिल्ली में कल एक दिन में ही 60 हजार से ज्यादा एफआईआर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दर्ज की गईं. घरों में रहने के लिए किसके लिए कहा जा रहा है, तुम लोगों के लिए ही न कि किसी और के लिए.