Sunday, April 5, 2020

तुम्हारे जलाए पटाखों की आवाज आज उन घर तक भी पहुंची होगी जहां कोरोना ने छिनी है किसी की जान

The 16 Saddest Death Quotes You'll Ever Read | LoveToKnow
PS-Social Media
कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण दुनिया भर में 60 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 12 लाख से ज्यादा लोग इसकी जद में हैं. भारत भी इसके प्रकोप से अछूता नहीं रहा है. देश में यह महामारी अभी तक 83 लोगों की जान ले चुकी हैं और 3000 से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं. हालांकि अन्य देशों के मुकाबले अपने देश में संक्रमित लोगों की संख्या कम है, पर इसमें खुशी की बात नहीं है. ये सरकार की नाकामी बयां करती है. क्योंकि यह निश्चित है जब ज्यादा टेस्ट होंगे, तब अधिक ज्यादा संख्या में संक्रमित लोगों की संख्या सामने आएगी.

अब सरकार लोगों का टेस्ट कराने से तो गई, पर कभी ताली पिटवा कर तो कभी दीये या मोमबत्ती जलवा कर एकजुटता का सबूत जरूर मांगती रहती हैं. ताकि लोग एकजुट होकर यह साबित करते रहे कि हम सभी घर में हैं और कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टर्स और अन्य लोगों का सम्मान कर रहे हैं.

सम्मान भी देखिए कैसे दिया जा रहा है. 5 अप्रैल, 2020 यानी आज के दिन अपने घरों की सभी लाइट्स बंद करके फ्लैशलाइट, दीया और मोमबत्ती जलाकर कोरोना वॉरियर्स का सम्मान देने को पीएम ने अपने हाल ही में देश के नाम दिए गए संबोधन में कहा था. पर विडंबना ये है कि देश में गंवार और मुर्खों की एक जमात भी रहती है, जो कि कोरोना वॉरियर्स को सम्मान देने के लिए पटाखे फोड़ना ज्यादा उचित समझती है.

लगता है ये घटिया लोग इस बात का जश्न मना रहे थे कि देश में कोरोना के कारण अबतक इतनी मौत हो चुकी हैं और आगे भी न जाने कितनी होंगी. तुम्हारे द्वारा जलाए गए इन पटाखों की आवाज उन घर तक भी पहुंची होगी, जिनके चिराग बुझे हैं. उनसे जाकर पूछों कि उन्होंने कैसे तुम्हारे इस बेहुदा जश्न को बर्दाश्त किया होगा. वो परिवार आज फिर से रोए होंगे कि देखो, देश हमारे प्रियजन के जाने पर कैसे खुशी मना रहा है.



देश एक ऐसे घोर संकट से गुजर रहा है, जहां पर सभी को एकजुट होकर इससे लड़ने की जरूरत है, लेकिन नहीं यहां तो हर कोई यह दिखाने में लगा है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करके घर से पहले बाहर कौन जाएगा? घरों में रहने के लिए कहा जाता है, लेकिन नहीं ये लोग नहीं मानते.

राजधानी दिल्ली में कल एक दिन में ही 60 हजार से ज्यादा एफआईआर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दर्ज की गईं. घरों में रहने के लिए किसके लिए कहा जा रहा है, तुम लोगों के लिए ही न कि किसी और के लिए.  

Wednesday, March 7, 2018

International Women's Day: घूरते हो, मारते हो, आबरू से खेलते हो, नहीं चाहिए एक दिन का सम्मान, देना है तो रोज दो

(Sketched By Rajni Singh)

8 मार्च यानि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, आज सभी लोग महिलाओं के सम्मान के लिए उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं। लोग अपनी मां, बहन, पत्नी, बेटी और महिला दोस्तों को महिला दिवस की शुभकामनाएं दे रहे हैं लेकिन क्या सच में महिलाओं का असल जिंदगी में सम्मान किया जा रहा है। केवल एक दिन महिला दिवस की शुभकामनाएं देने से क्या उनका सम्मान होता है? घूरते हो, मारते हो, जलील करते हो, इज्जत से खिलवाड़ करते हो और फिर महिला दिवस पर एक दिन के लिए सम्मान देने लगते हो, नहीं चाहिए ऐसा सम्मान। महिलाएं एक दिन के सम्मान की भूखी नहीं हैं, अगर देना है तो हर रोज उस बुरी नजर को हटाकर सम्मान दिया जाना चाहिए, जो कि उसे देखते ही अपनी हवस की भूख मिटाने के बारे में सोचती है।

भारत ही नहीं दुनिया में महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं सुनने को मिलती हैं। महिलाओं के सम्मान की इतनी ही फिक्र है तो उन्हें बुरी नजर से देखना बंद करो, तभी महिलाओं को असली सम्मान मिलेगा। रेप, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, छेड़छाड़ जैसे कई मामले रोजाना दर्ज किए जाते हैं और कई तो ऐसे मामले हैं जो कि रिकॉर्ड ही नहीं होते। लड़की छोटे कपड़े पहनती है तो कुंठित सोच वाले पुरुषों को लगता है कि वह न्योता दे रही है कि आओ मेरे साथ कुछ भी करो, मैं कुछ नहीं कहूंगी। ये समाज के लोग भी उसे ताने मारते हैं कि छोटे कपड़े पहनकर और रात में बाहर रहोगी तो तुम्हारे साथ ऐसा ही होगा। जब वहीं 3 और 8 महीने की एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया जाता है तो इसमें कौनसा बच्ची का कसूर होता है। वह कहां किसी को अपना बदन दिखा रही थी जो उसके साथ जघन्य अपराध को अंजाम दे दिया जाता है।

इन समाज के ठेकेदारों से पूछों कि चलों अगर तुम्हारी इस घटिया सोच को मान भी लिया जाए कि छोटे कपड़े पहने हुए लड़की अपना बदन दिखा कर लड़कों को उनके साथ कुछ भी करने का न्योता देती है तो उस बच्ची ने कैसे न्योता दे दिया जो कि अभी अपने मां-बाप तक को नहीं जानती, आस-पास क्या हो रहा है वह नहीं जानती और रेप किसे कहते हैं यह नहीं जानती तो उसे क्यों एक पुरुष ने अपना शिकार बना डाला? फिर भी महिलाओं के सम्मान को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं।

सम्मान देना है तो इसकी शुरुआत घर से करो, क्यों बेटों के लिए सभी चीजों की आजादी होती है? क्यों बेटी को हर कदम पर सिखाया जाता है कि कैसे चलना है, क्या पहनना है, कैसे बात करनी है, कैसे रहना है? यह सारे नियम कानून केवल लड़कियों के लिए ही क्यों बनाते हो? अगर बेटों को अच्छी शिक्षा दी जाए तो वे महिलाओं का सम्मान करेंगे। बच्चों का पहला स्कूल उसका परिवार होता है। बच्चा जैसा परिवार में सीखेगा वैसा ही वह बाहर निकलकर बर्ताव करेगा। परिवार में अपनों के ही तानों का शिकार बनने के बाद एक दिन उस बेटी के हाथ पीले कर उसे दूसरे घर भेज दिया जाता है। पति के घर जाने से पहले उसे समझाया जाता है कि अब वही तेरा घर है और जैसे वो चाहेंगे वैसे ही रहना। लड़की भी सोचती है पहले मायके में सभी की मर्जी से चली और अब ससुराल वालों की मर्जी से चलना ही अपना धर्म है।

लड़की की खुद की इच्छाएं, खुद की आजादी और खुद की मर्जी किसी के लिए कोई मायने नहीं रखती। वह क्या चाहती है इससे किसी को फर्क नहीं पड़ता। उसे एक पिंजरे में रखने की भरपूर कोशिश की जाती है और फिर पूरे साल में एक दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के नाम पर उसे सम्मान देने की कोशिश होने लगती है। ससुराल में दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाना, पति का जब मन आए तब पीट देना, क्या ऐसे ही सम्मान दिया जाता है? घर, बाहर या ऑफिस महिलाओं को सम्मान दिया ही कहां जा रहा है? हर जगह किसी न किसी प्रकार से उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। क्या प्रताड़ना देना ही महिलाओं का सम्मान करना है?

जन्म से लेकर मरने तक महिला केवल अपने आत्मसम्मान के साथ जीना चाहती है लेकिन उसे सम्मान देने की जगह पीड़ा दी जाती है और एक दिन इस सबसे परेशान हो वह खुद ही जिंदगी से चली जाती है क्योंकि वह जानती है कि न तो समाज बदलेगा और न ही उनकी सोच इसलिए हारकर वह अपनी जिंदगी खत्म कर लेती है। क्या इसलिए ही महिलाओं के सम्मान के लिए इस दिवस को मनाया जाता है? महिलाएं कमजोर नहीं हैं वे जानती हैं कि कैसे छोटी-छोटी चीजों में खुश रहा जाता है। सब्र और सहनशक्ति की बात की जाए तो महिलाएं इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। 'औरतों को कमजोर बनाने की कोशिश करना फितरत तुम्हारी, लेकिन उनका हौसला तोड़ना है नामुमकिन'। औरत अगर अपनी खुशी को भुलाकर सब सह सकती है तो वह अपने आत्मसम्मान के लिए एक दिन आवाज भी उठा सकती है, इसलिए उसे कमजोर समझने की भूल करना व्यर्थ है।

Thursday, September 29, 2016

Yogeshwar Dutt Exclusive Interview of the Month

Rio Olympic is somehow one of the most talked about event in the History of Indian sports event. From controversies to doping allegations, broken dreams, women empowerment to selfie blames, Rio Olympic showed a real time image of Indian sports growth and fall in the short span of 17 days.

Sunday, September 25, 2016

एक मुलाकात मुक्केबाज कविता चहल के साथ

कहते हैं कि एक कामयाब आदमी के पीछे एक औरत्त का हाथ होता है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि एक औरत की कामयाबी के पीछे एक आदमी का हाथ भी होता है जो हर कदम पर उसका साथ देता है। जहाँ हमारे देश में महिला सश्क्तिकरण एक मुद्दा बना हुआ है वहीँ कई ऐसे आदमी भी हैं जो अपनी बेटी, बहन और पत्नी को सशक्त करने के लिए उनका हर कदम पर साथ देते हैं।
(एक छोटी सी मुलाकात मुक्केबाज कविता चहल और उनके पति सुधीर कुमार के साथ।)

http://sportsgranny.com/sometimes-behind-successful-woman-man-living-dreams-story-boxer-kavita-chahal/

Friday, February 12, 2016

आखिर कब बंद होंगी ये तारीख पर तारीख

(गूगल से ली गई तस्वीर)
न्यायालयों में न्याय के नाम पर मिलती हैं सिर्फ तारिखें....

इन तारिखों को बंद करने और जल्दी न्याय पाने के लिए आईए जुड़िए न्याय यात्रा के साथ....

क्या आपको लगता है कि देश में लोगों को जल्दी न्याय मिल पाता है?

देश में जल्दी न्याय किन लोगों को मिलता है?

देश की न्याय व्यवस्था के बारे में आपका क्या सोचना है?

न्याय व्यवस्था में सुधार लाने के लिए किस प्रकार के कदम उठाने चाहिए?

क्या आपको लगता है कि देश में सिर्फ गरीब लोगों को ही न्याय पाने में कठिनाई होती है?

लोगों को जागरुक करने और न्याय व्यवस्था में सुधार लाने के लिए 35 दिनों की यात्रा पर निकली न्याय यात्रा देश के हर शहर में घूमकर लोगों से इस यात्रा के साथ जुड़ने की अपील कर रही है. देश के न्यायालओं में मुकदमों का अंबार लगा हुआ है लेकिन उन मामलों पर कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं होता. आए दिन छोटे से छोटे और बड़े से बड़े मामले न्यायालओं में आते हैं लेकिन उनपर जल्दी से कार्रवाई नहीं की जाती. 

इतना ही नहीं गरीब लोग तो न्याय पाने की चाहत में न्यायालओं के चक्कर काटते रह जाते हैं और एक दिन ऐसा भी आता है कि उनकी मौत हो जाती है लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल पाता. गरीबों के लिए न्याय पाना एक सपना सा बन गया है. यदि कोई मामला हाईप्रोफाइल होता है तो उस मामले में फैसला आने में सालों-साल लग जाते हैं क्योंकि न्याय व्यवस्था ही एसी बन गई है जो कि अमीरों को पहले सुरक्षित करने के बारे में सोचती है. कोई भी अमीरों के साथ किसी भी प्रकार के मतभेदों में पड़ना नहीं चाहता क्योंकि लोग समझते हैं कि अमीरों पर तो केस नहीं होगा और अगर कोई केस होगा भी तो उनपर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी और वे आराम से छूट जाएंगे.

हमारी सरकार और न्यायालओं में सुधार लाने की आवश्यकता है. देश में लंबित पड़े मामलों की संख्या 3 करोड़ तक पहुंच चुकी है और अगर इसी प्रकार न्यायालयों में कार्य होता रहा तो यह आंकड़ा कहा तक पहुंचेगा इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. न्यायपालिका को लोकतंत्र का तीसरा स्तंभ कहा जाता है लेकिन न्यायालओं के कार्यों के ढीलेपन के कारण लोकतंत्र के इस तीसरे स्तंभ से लोगों का भरोसा उठ गया है. आम लोग चाहते हैं कि न्याय व्यवस्था में सुधार लाया जाए क्योंकि देश में अगर देरी से न्याय मिलेगा तो अपरधियों के हौंसलें और बुलंद हो जाएंगे और वे किसी भी अपराध करने से भय नहीं करेंगे. इन्हीं सब मुद्दों को उठाते हुए न्याय यात्रा लोगों से अनुरोध कर रही है कि अपने हक के लिए आवाज उठाएं और न्याय व्यवस्था को सुधारने के लिए न्याय यात्रा का हिस्सा बनें.

Tuesday, February 9, 2016

लचर न्याय व्यवस्था में सुधार लाने को निकली न्याय यात्रा

वैसे तो हमारे देश की न्याय व्यवस्था कैसी है ये तो सभी जानतें हैं. यहां किसी को इंसाफ जल्दी मिल जाता है, तो किसी को मिलती है तो सिर्फ तारीख पर तारीख. न्याय पाने की चाहत में लोग न्यायालयों के चक्कर लगाते-लगाते मर जाते हैं लेकिन न्याय मिलना लोगों के लिए जैसे एक सपना सा बन जाता है. इस प्रकार की न्याय व्यवस्था में सुधार लाने के लिए  फोरम फॉर फास्ट जस्टिस ने एक न्याय यात्रा निकाली है, जिसके द्वारा न्याय व्यवस्था में सुधार लाने के लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है.

30 जनवरी 2016 को दिल्ली के राजघाट से निकली 35 दिनों की यह न्याय यात्रा जम्मू से कन्याकुमारी तक 170 शहरों का सफर तय करेगी. इस यात्रा को दो समूहों में बाटा गया है जो कि दो मार्गों पर देशभर में यात्रा करने के बाद 4 मार्च को जंतर मंतर पर पहुंचेगी. फोरम फॉर फास्ट जस्टिस ने राजघाट से अपनी यात्रा शुरु करने से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी थी. कॉन्फ्रेंस में इस संस्था के अध्यक्ष भगवान जी रैयानी ने कहा था कि फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के सदस्य देशभर में यात्रा कर लोगों को जागरुक करेंगे. उन्होंने कहा था कि इस यात्रा के दौरान जितने भी सुझाव उन्हें लोगों के द्वारा मिलेंगे उन्हें उनकी संस्था प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कानून मंत्री को संशोधन करने के लिए भेजेगी.

वहीं इस मुहीम से जुड़े समाजसेवी और अमन मूवमेंट के अध्यक्ष राज काचरु ने जानकारी दी कि भारत में 10 मिलियन आबादी पर केवल 10 जज हैं परन्तु यह संख्या 50 जज प्रति 10 लाख आबादी के हिसाब से होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि भारत में चेक बाउंस होना एक आम बात है. सन् 1800 में अंग्रेजों द्वारा चेक बाउंस के लिए नेगोशिएबल एक्ट बनाया गया था जिसे 1981 में भारत में लागू कर दिया गया था, लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि दिल्ली के न्यायालयों में पेंडिंग पड़े 86 प्रतिशत मामलों में से 67 प्रतिशत मामले चेक बाउंस के हैं और अगर इन 86 प्रतिशत मामलों में से 67 प्रतिशत मामलों को हटा दिया जाए तो दिल्ली न्यायालयों को सिर्फ 19 प्रतिशत मामलों में ही फैसला देना पड़ेगा.

इस न्याय यात्रा के सदस्य हर शहर में घूम कर लोगों से अपील कर रहे हैंं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस अभियान से जुड़े जिससे कि देश की न्याय प्रक्रिया में तेजी आ सके. शहर-शहर में घूमते हुए न्याय यात्रा के सदस्यों ने कई लोगों से बात की जिन्होंने इस यात्रा की काफी सराहना की. सदस्यों से कई एसे लोग भी मिले जो कि किसी न किसी केस के चलते न्यायालयों के चक्कर लगा रहे हैं. उन लोगों का कहना है कि न्याय की आस लगा कर बैठे हैं लेकिन पता नहीं न्याय कब मिलेगा. न्याय यात्रा के सदस्यों ने ऐसे ही कई लोगों की आपबीती सुनी और उनसे आग्रह किया की वे भी इस यात्रा से जुड़कर न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अपनी आवाज़ उठाएं.
























Monday, January 26, 2015

सर्वोच्च पुरस्कार पद्म विभूषण पाकर गौरवान्वित बिग बी

बॉलीवुड शहंशाह अमिताभ बच्चन (बिग बी) का कहना है कि वह देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म विभूषण पाकर गौरवान्वित और खुश हैं. अमिताभ अपने चार दशकों से लंबे सिनेमाई करियर के जरिए सिनेप्रेमियों के दिलों पर राज कर रहे हैं. बिग ने अपने प्रशंसको का धन्यवाद देते हुए कहा कि शुक्रिया मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए.
आपको बता दें कि पद्म विभूषण पुरस्कारों की घोषणा रविवार रात 66वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की गई थी. यह सम्मान पाकर खुश बिग बी ने अपने आधिकारिक ब्लॉग ‘एसआरबच्चन डॉट टंब्लर डॉट कॉम’ पर लिखा भारत सरकार ने मुझे आज देश के सर्वोच्च पुरस्कार पद्मम विभूषण से नवाजा. मेरे पास सरकार का आभार जताने के लिए शब्द नहीं हैं. मैं यह फैसला लेनेवाले लोगों की उदारता से अभिभूत और गदगद हूं.